चंद्रयान-4 के मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी यह तकनीक
Delhi News : भारत ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने SpaDeX मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करके इतिहास रच दिया है। इस मिशन के तहत दो सैटेलाइट को सफलतापूर्वक डॉक करने की प्रक्रिया पूरी की गई। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।
बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को एक बार फिर से इतिहास रच दिया। इसरो ने SpaDeX (स्पेस डॉकिंग एक्सरसाइज) मिशन के तहत दो सैटेलाइट को सफलतापूर्वक डॉक करने की प्रक्रिया पूरी कर ली।
SpaDeX Mission India
भारत से पहले ये तीन देश ही कर सके थे ऐसा
अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। सुप्रभात भारत, इसरो के स्पेडेक्स मिशन ने ‘डॉकिंग’ में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। इस क्षण का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है।
इससे पहले इसरो ने दो बार डॉकिंग का प्रयास किया था, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण 7 और 9 जनवरी को यह संभव नहीं हो सका। 12 जनवरी को इसरो ने सैटेलाइट को 15 मीटर और 3 मीटर की दूरी तक लाने में सफलता हासिल की थी। इसरो ने कहा था कि 15 मीटर और फिर 3 मीटर तक की दूरी को सफलतापूर्वक तय किया गया है। इसके बाद सैटेलाइट्स को सुरक्षित दूरी पर ले जाया गया। डेटा का विश्लेषण करने के बाद डॉकिंग प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
SpaDeX Mission Launching
पृथ्वी की निम्न कक्षा में स्थापित किए गए थे सैटेलाइट
SpaDeX मिशन को इसरो ने 30 दिसंबर, 2024 को लॉन्च किया था। इसमें दो छोटे सैटेलाइट – SDX01 (चेसर) और SDX02 (टारगेट) – को पृथ्वी की निम्न कक्षा में स्थापित किया गया। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना है।
डॉकिंग तकनीक की आवश्यकता चंद्रयान-4 जैसे मिशनों में होगी, जिसमें चंद्रमा से सैंपल लाकर पृथ्वी पर वापस लाना है। साथ ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के लिए भी यह तकनीक महत्वपूर्ण होगी, जिसे 2028 तक लॉन्च करने की योजना है।
Success Of SpaDeX Mission
दोनों सैटेलाइट को 20 किलोमीटर की दूरी पर रखा गया था
SpaDeX मिशन के तहत पहले दोनों छोटे सैटेलाइट को 20 किलोमीटर की दूरी पर रखा गया था। इसके बाद ‘चेसर’ सैटेलाइट ने ‘टारगेट’ सैटेलाइट के पास जाकर 5 किमी, 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और आखिरकार 3 मीटर तक की दूरी तय की।
इस दूरी के समाप्त होने के बाद दोनों छोटे सैटेलाइट को एक साथ जोड़ा गया। डॉकिंग के बाद दोनों सैटेलाइट के बीच बिजली के ट्रांसफर का प्रदर्शन किया गया और फिर दोनों को अलग कर उनके संबंधित पेलोड संचालन शुरू किए गए।
Importance Of SpaDeX Mission
चंद्रयान-4 मिशन के लिए साबित होगा महत्वपूर्ण
बता दें कि चंद्रयान-4 मिशन में डॉकिंग और अन-डॉकिंग प्रक्रियाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस मिशन में दो मॉड्यूल्स को अलग-अलग लॉन्च वाहनों से लॉन्च किया जाएगा, जो जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में डॉक करेंगे। चंद्रमा पर सैंपल इकट्ठा करने और उन्हें वापस पृथ्वी पर लाने के लिए डॉकिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
साथ ही मानव मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के लिए भी इस तकनीक को आगे बढ़ाने की योजना है। SpaDeX मिशन के सफल डॉकिंग परीक्षण ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने में मदद की है।
-अनुवादक खबर ब्यूरो
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