कई लोगों को किया गया सम्मानित, अपनी संस्कृति और परंपराओं का पालन और सम्मान करने का किया आह्वान
Delhi Desk : आदिवासी हो समाज (Adivasi Ho Samaj) युवा महासभा की टीम ने दिल्ली में धमाल मचा दिया। मौका था दिशुम दिल्ली की ओर से गृह कल्याण केंद्र, लक्ष्मीबाई नगर, दिल्ली हाट के सामने आयोजित मागे पोरोब-2024 कार्यक्रम का। इसमें विभिन्न राज्यों से हो समाज के अनेक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
इस दौरान कार्यक्रम में शामिल गणमान्य लोगों ने दिशुम आरसी पुस्तक का विमोचन भी किया। साथ ही आदिवासी हो समाज युवा महासभा राष्ट्रीय कमिटी की ओर से हो समाज के पारंपरिक त्योहारों, कला एवं संस्कृति, रीति-रिवाजों और पूर्वजों के समय से चली आ रही मान्यताओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की अपील भी की गई।
Adivasi Ho Samaj News in Hindi
हर कार्यक्रम में पारंपरिक वेश-भूषा के साथ हों शामिल
मागे पोरोब-2024 के शानदार आयोजन के दौरान Adivasi Ho Samaj युवा महासभा की राष्ट्रीय कमिटी ने समाज के लोगों से अपनी परंपराओं और संस्कृति का अनुसरण करने तथा युवा पीढ़ी को अपनी समृद्ध संस्कृति के प्रति जागरूक करने का आह्वान भी किया।
कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने समाज के लोगों से आग्रह किया कि हमारे समाज का कोई भी पारंपरिक त्योहार या कार्यक्रम दिल्ली या ऐसे ही किसी और स्थान पर हो, तब भी समाज के नौकरी-पेशा, व्यापार या पढ़ाई-लिखाई से जुड़े सभी लोग ऐसे त्योहारों या कार्यक्रमों में अपनी पारंपरिक वेश-भूषा के साथ शामिल हों।
Adivasi Ho Samaj Delhi
मागे पोरोब के नाम के साथ छेड़छाड़ कर उसे अपमानित न करें
वक्ताओं ने कहा कि Adivasi Ho Samaj की एक समृद्ध संस्कृति रही है। हमारे समाज में मागे पोरोब का बहुत बड़ा महत्व है। इसलिए लोगों को सामाजिक स्तर पर जिम्मेदारी लेते हुए यह ध्यान रखना होगा कि गांवों में होने वाले मागे पोरोब के दौरान आम लोग ‘मागे’ शब्द के साथ छेड़छाड़ कर उसे अश्लील शब्दों के साथ उपयोग न करें।
यह समाज के सभी माता-पिता, भाई-बहन एवं सगे-संबंधियों के मान-सम्मान और गांव की गरिमा से जुड़ा हुआ है और इसका ध्यान रखते हुए मागे शब्दों का उपयोग सम्मानजनक शब्दों के साथ ही किया जाए। यह किसी एक की नहीं, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है।
Adivasi Ho Samaj Rich Culture
गांव-समाज की खुशहाली के लिए सिंहबोंगा से आशीर्वाद मांगें
कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने कहा कि Adivasi Ho Samaj में बोंगा-बुरू का बहुत ही धार्मि, व्यापक और सांस्कृतिक महत्व है। इसलिए जब भी दियुरी के द्वारा देशाऊली में बोंगा-बुरू चलता हो, तो उस समय सामूहिक नृत्य रोककर प्राकृतिक आस्था स्थल देशाऊली में सभी अपने-अपने परिवारों के साथ शामिल हों।
ऐसे समय पर समाज के सभी लोगों को अपने-अपने परिवारों के साथ प्राकृतिक आस्था स्थल देशाऊली में उपस्थित होकर गांव और समाज की खुशहाली तथा सुख-समृद्धि के लिए सिंहबोंगा से आशीर्वाद मांगना चाहिए। इससे सभी का कल्याण होगा।
Adivasi Ho Samaj Honour
विभिन्न योगदानों के लिए कई लोगों को किया गया सम्मानित
इस अवसर पर आदिवासी हो समाज युवा महासभा, Adivasi Ho Samaj महासभा, हरिगुटू, चाईबासा, आदिवासी कल्याण केंद्र, किरीबुरू, कोल्हान, झारखंड की ओर से सामाजिक कार्यों में विशेष योगदान देने के लिए दिशुम सोसाइटी के सुरेंद्र आल्डा, विक्रम हेस्सा, रूप नारायण देवगम और रुपेश बिरुली को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
साथ ही आदिवासी हो समाज युवा महासभा के दिल्ली राज्य प्रतिनिधि सह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के प्रोफेसर बलभद्र बिरुवा को पीएचडी की डिग्री मिलने पर टीम ने उन्हें भी शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया और शुभकामनाएं दीं।
इस मौके पर मागे पोरोब में दियुरी के द्वारा पारंपरिक रूप से बोंगा-बुरू करने के बाद पारंपरिक वाद्य-यंत्रों के साथ सामूहिक नृत्य भी प्रस्तुत किया गया।
यहां देखें पूरा VIDEO:
-अनुवादक न्यूज ब्यूरो
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