Child Marriage की कुप्रथा के खात्मे पर लिखी पुस्तक बनी विश्व पुस्तक मेले का आकर्षण, हुई विशेष चर्चा
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Delhi Desk : देश से बाल विवाह (Child Marriage) की कुप्रथा को वर्ष 2030 तक समाप्त किया जा सकता है। एक पुस्तक ने इसका रास्ता भी दिखा दिया है। तमाम सरकारी एजेंसियों के साथ ही 160 से अधिक गैर-सरकारी संगठन भी इस पुस्तक में बताई गई रणनीतियों को अंगीकार करते हुए बाल विवाह के खात्मे के लिए अभियान चला रहे हैं।

बता दें कि देश में बाल विवाह की कुप्रथा को पूरी तरह से खत्म करने का रणनीतिक खाका पेश करने वाली पुस्तक ‘व्हेन चिल्ड्रन हैव चिल्ड्रन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ (When Children Have Children : Tipping Point To End Child Marriage) पर दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले के दौरान विशेष चर्चा हुई। इसी के दौरान उभरकर सामने आया कि बाल विवाह के खात्मे की दिशा में यह पुस्तक काफी कारगर साबित हो रही है।

Child Marriage – An Evil Practice

विश्व पुस्तक मेले के दौरान सामाजिक उद्यमी व टेड स्पीकर तृप्ति सिंघल सोमानी ने पुस्तक के लेखक और प्रख्यात अधिवक्ता भुवन ऋभु के साथ गहन चर्चा की। इस अवसर पर पुस्तक के प्रकाशक प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार व पीयूष कुमार भी मौजूद थे।

खास बात यह है कि अक्टूबर 2022 में प्रकाशित होने के बाद इस पुस्तक ने जमीन पर काम कर रहे गैर-सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के बीच खासी लोकप्रियता अर्जित की है। ध्यान देने की बात यह भी है कि तमाम सरकारी एजेंसियों के साथ 160 से ज्यादा गैर-सरकारी संगठन किताब में बताई गई रणनीतियों को अंगीकार करते हुए बाल विवाह के खात्मे के लिए अभियान चला रहे हैं।

Child Marriage in India

आपको बता दें कि देश में बाल विवाह के खात्मे के लिए तमाम प्रयासों के बावजूद वैश्विक संगठनों का नजरिया इसके बारे में खासा नकारात्मक है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के अनुसार भारत में इस बुराई के खत्म होने में 300 साल लग सकते हैं।

हालांकि पुस्तक के लेखक भुवन ऋभु ने इन दावों से असहमति जताते हुए कहा कि इस किताब में देश को 2030 तक बाल विवाह से मुक्त कराने का ठोस रणनीतिक खाका है, जिस पर अमल भी हो रहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के अनुमानों को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

Ending Child Marriage in India

पुस्तक के लेखक भुवन ऋभु ने कहा कि आज का भारत इतना आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर है कि उसे अपना रास्ता तय करने के लिए किसी बाहरी दिशानिर्देश और ज्ञान की जरूरत नहीं है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मूल्यों वाले भारत ने ज्ञान और आध्यात्मिकता के मामले में हमेशा दुनिया की अगुआई की है।

उन्होंने कहा कि भारत अपने समतामूलक मूल्यों और साहस के साथ हर लड़ाई में विजेता बना है। हमें पता है कि हमें अपनी लड़ाई कैसे लड़नी है और इसे जीतना कैसे है। हमें अपनी लड़ाई के लिए अपना रास्ता तय करना आता है।

Child Marriage – Problem and Issues

भुवन ऋभु ने वर्ष 2030 तक देश से बाल विवाह का खात्मा करने के लिए सुझाई गई ‘पिकेट’ रणनीति के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमने समस्याओं पर बहुत बात कर ली। अब समय समाधान केंद्रित उपाय खोजने का है और बाल विवाह की रोकथाम के लिए जमीनी समाधानों और हर स्तर पर काम करने की जरूरत है। पिकेट रणनीति यही है।

उन्होंने कहा कि पिकेट रणनीति 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार, समुदायों, गैर-सरकारी संगठनों और बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील बच्चियों के हक में नीतियों, निवेश, सम्मिलन, ज्ञान-निर्माण और एक ऐसी पारिस्थितिकी, जहां बाल विवाह न फल-फूल सके और बाल विवाह से लड़ाई के लिए निरोधक और निगरानी तकनीकों की मांग पर एक साथ काम करने का आह्वान करती है। हमारा लक्ष्य सरकारी महकमों से लेकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नागरिक समाज जैसे तमाम हितधारकों के विराट, लेकिन बिखरे हुए प्रयासों को एक ठोस आकार और दिशा देना है।

दशकों से बाल अधिकारों के लिए काम कर रहे भुवन ऋभु से तृप्ति सोमानी ने यह भी पूछा कि किताब लिखने का विचार इतनी देर से क्यों आया। इस पर उन्होंने कहा कि बाल विवाह बच्चों से बलात्कार है और अगर हम अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल हो जाते हैं, तो कुछ और शेष बचता ही नहीं है।

उन्होंने कहा कि कानून यह बताता है कि क्या सही है, लेकिन जब तक यह आम लोगों तक नहीं पहुंचता, तब तक यह कागजी ही रहता है। इसलिए हमारे सामने चुनौती है कि इन नीतियों और कानूनों का लाभ जमीन पर आखिरी बच्चे तक पहुंचे। हमारे लिए अहम यह है कि बाल विवाह सार्वजनिक विमर्श का मुद्दा बने और इसीलिए हमने इसे किताब की शक्ल दी, ताकि यह सभी तक पहुंच सके।

उन्होंने दावा किया कि ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज’ पुस्तक के अनुसार भारत से 2030 तक बाल विवाह का खात्मा संभव है, जिसकी मौजूदा दर फिलहाल 23.3 प्रतिशत है।

-अनुवादक न्यूज ब्यूरो


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